अंतरिक्ष का योगी राकेश शर्मा


विंग कमांडर राकेश शर्मा की तस्वीर 
                                                 
           3 अप्रेल 1984 का वो दिन भारत ओर भारतवासीओ के लिए एक गौरवपूर्ण दिन था, इसी दिन एक भारतीय अंतरिक्ष मे पहुंचा ओर देश का पहला ऐसा नागरिक बन गया जो अंतरिक्ष मे गया हो। जी हा हम आपको पहले भारतीय अंतरिक्षयात्री यात्री राकेश शर्मा के बारे मे बताएंगे । 

कोन है राकेश शर्मा 

           राकेश शर्मा का जन्म पंजाब के पटियाला में 13 जनवरी 1949 के दिन हुआ, और उनके पिता भारतीय नागरिक सेवाओं में कार्यरत थे। थोड़ा बचपन पटियाला में बिताने के बाद वह अपने पिता की नौकरी के चलते हैदराबाद आ गए और उनका ज्यादातर बचपन और पढाई हैदराबाद में ही हुई। ग्रेजुएशन तक की पढाई के बाद  उनका चयन ऍन डी ऐ में 1966 में हुआ और साल 1970 में वह भारतीय वायुसेना में बतौर फाइटर पायलट के रूप में जुड़े। 1971 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध में भी राकेश शर्मा ने बतौर पायलट एक अहम् भूमिका निभाई।
राकेश शर्मा अंतरिक्ष शूट पहने हुए 

कैसे चयन हुआ अंतरिक्ष में जाने के लिए 

           साल 1967 में सोवियत संघ द्वारा इंटरकॉस्मॉस मिशन की शुरआत की गई , इंटरकॉस्मॉस एक अंतरिक्ष सहयोग कार्यक्रम था। इस मिशन के अंतर्गत सोवियत संघ अपने उन मित्र देशो को अंतरिक्ष अनुसन्धान में  भाग लेने के लिए आमंत्रित करते जिनके पास उस वक्त खुद का अंतरिक्ष कार्यक्रम नहीं था। इस मिशन के अंतर्गत कही देशो के साथ मिलकर तब सोवियत संघ ने अंतरिक्ष और कही दूसरे ग्रहो पर मिशन भेजे। 

           साल 1982 में भारत इस कार्यक्रम का हिस्सा बना और इसी के तहत 1984 में राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष यात्रा  की। इस मिशन के लिए राकेश शर्मा को भारतीय वायु सेना के 150 से ज्यादा अधिकारियो में से चुना गया, इसमें उनकी शारीरिक समर्थता, मानसिक संतुलन और तकनिकी कौशल को देख कर उनका चयन किया गया था। जिसके बाद वो SOYUZ T-11 मिशन का हिस्सा बने। 

अंतरिक्ष यात्रा का विवरण 

           SOYUZ T-11 मिशन के अंतर्गत राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में कुल 7 दिन 21 घंटे और 40 मिनट बिताये, इस समय में राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष में कही प्रयोग और अवलोकन किऐ। इन 7 दिनों में राकेश शर्मा ने जीरो ग्रेविटी में मानव शरीर में होने वाले प्रभाव, भारत के बने जैव चिकित्छा उपकरणों का अंतरिक्ष में परिक्षण, अंतरिक्ष से भारत के भू भागो का अवलोकन और अंतरिक्ष में योग से होने वाले फायदे जैसी कई चीज़ो का परिक्षण और अवलोकन किया। इस मिशन में राकेश शर्मा के साथ अन्य 2 अंतरिक्ष यात्री थे जिनमे राकेश शर्मा अकेले भारतीय थे। 

           इस यात्रा के दौरान राकेश शर्मा ने शारीरिक और मानसिक संतुलन बनाने के लिए अंतरिक्ष में योग भी किए जिससे उन्हें अंतरिक्ष में अनुकूलन साधने में काफी मदद मिली। इस वजह से राकेश शर्मा को अंतरिक्ष का योगी भी कहा जाता है। 

अब क्या करते है राकेश शर्मा 

           राकेश शर्मा ने भारतीय वायु सेना में 1990 तक सेवा दी इसके बाद उन्होंने स्वेत्चिक सेवा निवृति ली। इसी बीच उन्होंने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड में भी कुछ साल तक अपनी सेवाएं प्रदान की और साथ ही भारत का अपना बनाया हुऐ तेजस विमान के ऊपर भी राकेश शर्मा ने काफी काम किया है। 

           भारत सरकार ने उन्हे उनकी दी हुई उत्कृष्ट सेवाओं के बदल अशोकचक्र से सन्मानित किया है, साथ ही सोवियत संघ के द्वारा हीरो ऑफ़ दी सोवियत संघ पुरुष्कार भी 1984 में मिला हुआ है। राकेश शर्मा सेवा निवृति के बाद कुन्नूर में अपने परिवार के साथ रहकर एक सामान्य जीवन जी रहे है। देश को उनपर हमेशा गर्व रहेगा। 
       

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