2 मिलियन लोगो को मारने वाला तानाशाह - सालोथ सार उर्फ़ पोल पॉट

तानाशाह पोल पॉट की तस्वीर 
                                                                     
                      19 मई 1925 को कंबोडिया के कम्पोंग थॉम प्रांत में जन्मे पोल पॉट का असली नाम सालोथ सार था। पोल पॉट को इतिहास के सबसे क्रूर शाशको में से एक माना जाता है, जिसने अपनी सनक के कारण 20 लाख सेभी ज्यादा लोगो को मार दिया। 

                      पोल की पार्टी खमेर रुज ने साल 1975 में कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह पर कब्ज़ा कर लिया और कंबोडिया का नाम बदलकर डेमोक्रेटिक कम्पुचे कर दिया।पोल पॉट  कट्टर साम्यवादी विचारधारा से प्रभावित था और वह एक ऐसा समाज बनाना चाहता था की जहा न कोई धर्म हो, न कोई जाती, ना कोई अमीर या न गरीब, वो चाहता था की सब एक किसान बने और गांव में जाके खेती करे। 

                      1976 में पोल पॉट आधिकारिक रूप से प्रधानमंत्री बना, उसने सत्ता में आते ही अपने विरोधियो का नरसंहार करना चालू कर दिया। शहर में रह रहे सभी लोगो को गांव जाने का आदेश दे दिया और जो जाना नहीं चाहता था उसको मार दिया गया। उसने शहरों को तबाह कर दिया, इमारतों को बम लगाके उड़ादिया, और जो इमारते बच गई उनको जेले बना दी गई। 

                      पोल पॉट ने खेती और सामूहिक श्रम कोही लोगो के जीने का मकशद बना दिया, स्कूल और कॉलेज भी जलादिए गए, और  धर्म मानना भी एक अपराध बना दिया। जो कोई पढ़ा लिखा था उसे पोल अपना दुश्मन समझता था और इसलिए उनको भी मार दिया गया। गोली की जगह हथोड़ी,फावड़ा कुदाल जैसे औजारों से लोगो  को मारा गया। आज भी कंबोडिया में 300 से भी ज्यादा किलिंग फील्ड्स मौजूद है। 

कैसे हुआ इतना नर संहार 

           1 ) आवाज उठाने वालो की हत्या : पोल के शाशन के दरमियान अगर किसी ने उसके सैनिको की कोई बात नहीं मानी या उसका विरोध किया तो उसे मार  दिया जाता था। अगर कोई पढ़ा लिखा है या दूसरे देश की भाषा जानता हो तो उसे भी संदेह के आधार पर मार दिया गया, अगर कोई धार्मिक था तो उसे भी मार दिया जाता। लाखो लोगो को सिर्फ संदेह के आधार पर मार दिया गया। 

           2 ) बिमारिओ से हुई लोगो की मोत : पोल और उसकी सेना ने अस्पताल जला दिए  और डॉक्टर्स को मार दिया।कोई दवा या इलाज करने पर उसने पाबन्दी लगादी इस वजह से लोग सामान्य बीमारीओ जैसे मलेरिया, दम , बुखार ,डायरिया में भी मरने लगे, और इससे होने वाले संक्रमण से और हजारो लोग मरने लगे। 

           3 ) भूख, कुपोषण और जबरन मजदूरी  : लोगो से जबरन 12 से 15 घंटे तक काम लिया जाता था और बहुत थोड़ा ही खाना दिया जाता। जो काम न कर सके उसे खाना नहीं दिया जाता और उसके हाल पर छोड़ दिया गया। इस तरह भूख और कुपोषण के कारन लाखो लोग मारे गए। 

                      पोल पॉट का शाशन 1975 से 1979 तक चला जिसमे करीब 20 लाख या उससे ज्यादा लोग मारे गए। 

कैसे हुआ पोल का शाशन ख़त्म 

                      पोल के वियतनाम सिमा पर शुरू किए हमलो से वियतनाम के हजारो नागरिक मारे गए , जिससे परेशान होकर वियतनाम ने कंबोडिया पर 1978 में सैन्य हमला कर दिया, साथ ही जनता ने भी विद्रोह करना शुरू कर दिया। इस तरह पोल और उसकी सेना थाईलैंड की और जंगलो में पीछे हटते गए, और जनवरी 1979 तक वियतनाम का राजधानी नोम पेन्ह पर कब्ज़ा हो गया। 

                      पोल और उसकी पार्टी खमेर रुज का 1990  तक जंगलो में छिपकर वियतनाम और कंबोडिया में 1980 में बनी वियतनाम समर्थित सरकार से गोरिल्ला युद्ध चलता रहा। इसके बाद 1991 में सयुक्त राष्ट्र की मदद से शांति समजोता हुआ और सभी पक्षों ने युद्ध रोकने का फैसला किया। इसके बाद भी वह अपने बचे हुए सैनिको के साथ जंगल में छिपा रहा और वही उसकी मौत हो गई। 

                      पोल और खमेर रुज के बिच मतभेद से 1997 में उसके ही साथियो ने उसे नजरबंद कर दिया और पद से हटा दिया गया। इसके बाद 1998 में जंगल में एक झोपड़ी में ही उसकी मौत हो गई और उसके शव को उसके साथियो ने खुली लकडिओ के ढेर पर जलादिया। पोल की मोत का कारण दिल का दोहरा बताया , लेकिन कुछ लोग दावा करते हे की उसे जहर दे दिया गया था और कोई कहता है की उसने आत्महत्या की। 

                      इस तरह लाखो लोगो की मौत के जिम्मेदार पोल पॉट का अंत हुआ, बिना किसी मुकदमे , बिना किसी सुनवाई , बिना कोई सजा। 

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