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भारत का सबसे बड़ा ठग जिसने ताजमहल और लालकिला भी बेच दिया था।

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           भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा चोर अगर किसी व्यक्ति को कहा जाए तो उसमे सबसे पहले नाम नटवर लाल का ही आएगा। नकली दस्तावेज बनाने में माहिर और लोगो को अपनी बातो में फ़साने में उस्ताद नटवरलाल ने ताजमहल, लालक़िला और यहा तक की भारत की संसद को भी कही बार बेच डाला। वैसे तो बिहार का सिवान जिला भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद की जन्मभूमि के लिए प्रसिद्ध है लेकिन वो नटवर लाल की जन्मभूमि के तोर पर भी जाना जाता है।              साल 1912 में जन्मे नटवर लाल असली नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था, सिवान के बांभीहारा गांव में जन्मा ये लड़का बचपन से ही तेज दिमाग और होशियार था। प्रारंभिक शिक्षा ख़तम करके वह पहले पटना और फिर आगे की पढाई के लिए कोलकाता चला गया, और वहा उसने कानून की पढाई पूरी की। पढाई ख़त्म करने बाद उसने वकील बनने की जगह बैंक और अमीर लोगो को निशाना बनाना शुरू करदिया, और उनको अपने जाल  में फसाकर  करोडो रूपये की ठगी कर ने लगा। उसका पहनावा और लोगो से बात करने का तरीका ऐसा था की कोई भी उसकी बातो में आ जाता और उसप...

गाँधीजी ने सरदार पटेल को प्रधानमंत्री क्यों नहीं बनने दिया ?

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सरदार पटेल और गांधीजी ऐ आई से तस्वीर             साल 1946 में अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री बनने के लिए सरदार पटेल सबसे प्रबल दावेदार थे, और उनके पास बहुमत भी थी लेकिन फिर ऐसा  क्या हुआ की जिससे जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री बन गए ?            1946 में भारत में केबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत अंतरिम सरकार का गठन होना था, और ये बात साफ़ थी की प्रांतीय समितिओमे से जिसके नाम पर सबसे ज्यादा सहमति होगी वही प्रधानमंत्री बनेगा। कुल 15 प्रांतीय समिति में से 12 प्रांतीय समितिओ ने सरदार पटेल का नाम भेजा और बाकि 3 समितिओ ने इसमें भाग ही नहीं लिया था। इस तरह सरदार पटेल का प्रधानमंत्री बनना तय था।  गाँधीजी ने किया नेहरू का समर्थन :            अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के चयन के लिए कोंग्रेस की वर्किंग कमिटी और प्रमुख नेताओ की एक मीटिंग बुलाई जाती है, जिसमे महात्मा गाँधी भी शामिल थे। इस मीटिंग में सरदार को प्रांतीय समितिओ की और से  पूर्ण बहुमति मिलती है, लेकिन नेहरू पीछे हटने के लिए तैयार नहीं ह...

ब्रिटिश राज का सबसे बड़ा अपराध : जलियावालाबाग़ हत्याकांड

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जलियांवालावाला बाग़ में गोली चलाता हुआ सिपाही             जलिया वाला बाग़ हत्या कांड ब्रिटिश शाशन में हुई एक अमानवीय घटना है, जो 13 अप्रेल 1919 के दिन घटित हुई थी। इस घटना में हजारो निर्दोष लोगो को गोलिया चलाकर बेरहमी से मार गिराया गया। इस घटना में 1000 से ज्यादा लोगो को मौत हुई और 1200 से ज्यादा लोग घायल हुए।  जलियावालाबाग हत्याकांड से पहले :             साल 1919 में लागु किए गए रोलेट एक्ट का देश भर में कड़ा विरोध हो रहा था। अंग्रेज़ सरकार के द्वारा लागु किए गए इस एक्ट में किसी भी नागरिक को बिना किसी मुकदमा चलाये जेल में डालने का प्रावधान किया गया था।             इस घटना का देश भर में कड़ा विरोध किया गया और अंग्रेज़ सरकार के खिलाफ जगह जगह शांति पूर्ण तरीके से प्रदर्शन भी हो रहे थे। इस विरोध को शांत करने की लिए सरकार ने कही नेताओ और प्रदर्शन करने वाले लोगो को जेल में डाल दिया।   जलियावालाबाग़ हत्याकांड :            घटना के दिन बैशाखी का त्यौहार था, और...

अंतरिक्ष का योगी राकेश शर्मा

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विंग कमांडर राकेश शर्मा की तस्वीर                                                               3 अप्रेल 1984 का वो दिन भारत ओर भारतवासीओ के लिए एक गौरवपूर्ण दिन था, इसी दिन एक भारतीय अंतरिक्ष मे पहुंचा ओर देश का पहला ऐसा नागरिक बन गया जो अंतरिक्ष मे गया हो। जी हा हम आपको पहले भारतीय अंतरिक्षयात्री यात्री राकेश शर्मा के बारे मे बताएंगे ।  कोन है राकेश शर्मा             राकेश शर्मा का जन्म पंजाब के पटियाला में 13 जनवरी 1949 के दिन हुआ, और उनके पिता भारतीय नागरिक सेवाओं में कार्यरत थे। थोड़ा बचपन पटियाला में बिताने के बाद वह अपने पिता की नौकरी के चलते हैदराबाद आ गए और उनका ज्यादातर बचपन और पढाई हैदराबाद में ही हुई। ग्रेजुएशन तक की पढाई के बाद  उनका चयन ऍन डी ऐ में 1966 में हुआ और साल 1970 में वह भारतीय वायुसेना में बतौर फाइटर पायलट के रूप में जुड़े। 1971 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध में भी...